आर्य कन्या महाविद्यालय

शिक्षा जीवन के सर्वागींण विकास की कुन्जी है । शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति का व्यक्तित्व गढ़ा एवं संवारा जा सकता है । शिक्षा के द्वारा जहाॅ ज्ञानार्जन होता है वहीं शिक्षित व्यक्ति सुन्दर समाज की रचना में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है । इसीलिए आजाद भारत में शिक्षालयों की अधिक से अधिक स्थापना का प्रयास किया गया, परन्तु आजादी से पूर्व में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य कन्या एवं डी0ए0वी0 विद्यालयों की स्थापना की जिससे शिक्षा के ज्ञान से आलोकित भारतीय समाज राष्ट्र की गुलामी की बेड़ियों को काटने के लिए तत्पर हो सके । शिक्षा प्रमाद से दूर रखकर हमें उद्यमी बनाती है और स्वावलम्बी होकर हम जीवन की श्रेष्ठता को प्राप्त करते हैं ।

समाज के उत्थान सुन्दर समाज की रचना एवं सुदृृढ़ राष्ट्र के निर्माण के लिए शिक्षा के महत्व और उसकी अनिवार्यता को नकारा नही जा सकता परन्तु बालिका शिक्षा बालक की शिक्षा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि एक शिक्षित पुरूष अकेले समाज और राष्ट्र के उन्नयन में अपनी भागीदारी निभाता है वहीं एक शिक्षित स्त्री पूरे परिवार को शिक्षित और संस्कारित करते हुए राष्ट्र के विकास में अपना सहयोग देती है । इस दृृष्टि से कन्या विद्यालयों का स्थान महत्वपूर्ण हो जाता है । आर्य कन्या महाविद्यालय सन्् 1970 से इस विचार को पूर्णता देने का प्रयास करता हुआ निरन्तर आगे बढ़ रहा है ।

भारत शाश्वत मूल्यों के धरोहर के रूप में संजोए विश्व में अग्रणी है । वे युवा वर्ग अत्यन्त भाग्यशाली हैं जिन्होेंने भारतवर्ष में जन्म पाया है उन्हें अपने पूर्वजों से विरासत में शाश्वत जीवन मूल्य प्राप्त हुए हैं । हमारे देश के ऋषियों, मनीषियों ने इन मूल्यों का संरक्षण करते हुए संवाहक की भूमिका निभाई है । इस आदर्श मूल्यों को सुरक्षित रखना युवा का दायित्व है । आर्य कन्या महाविद्यालय महर्षि दयानन्द सरस्वती के आदर्श मूल्यों को लेकर छात्राओं को आधुनिक सभ्यता, समाज से सामजस्य स्थापित करने में आर्य समाज से संचालित शिक्षण संस्थायें महत्वपूर्ण योग दान देती हैं । ज्ञान, विज्ञान, राजनीति, साहित्य, संगीत, कानून, शारीरिक प्रशिक्षण, खेलकूद आदि शिक्षा के प्रत्येक दिशा, विषय में यह संस्थान भारतीय कन्याओं को शिक्षित करने हेतु प्रतिबद्ध है । शिक्षा में गुणवत्ता संवर्द्धन का लक्ष्य इस शिक्षण संस्था का घ्येय है अतः छात्राओं के जीविकोपार्जन के लक्ष्य को परिपूर्ण करता है । सन्् 1975 से अद्यतन महाविद्यालय छात्राओं को पीढ़ी दर पीढ़ी उच्च शिक्षा की दिशा में शिक्षित करता आ रहा है और अनेक छात्राओं के स्वर्णिम भविष्य को गढ़ता चला आ रहा है । शिक्षा के दीप प्रदीप्त करता हुआ यह महाविद्यालय अनेक वर्षों तक अपने कर्मठ एवं सुयोग्य श्क्षििकाओं एवं शिक्षकों द्वारा छात्राओं को परिमार्जित करके उनका जीवन सार्थक तथा देश, समाज के चर्तुमुखी विकास में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है ।

डा० सुमन वर्मा
प्राचार्या, 
आर्य कन्या महाविद्यालय, हरदोई
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